16000 स्वास्थ्यकर्मियों का इस्तीफा: इस राज्य में मच गया हडकंप, स्वास्थ्य सेवा हुई ठप, 16000 डाक्टर-नर्स व स्वास्थ्यकर्मियों ने दे दिया इस्तीफा, जानिये क्या है वजह
Resignation of 16000 health workers: There was a stir in this state, health services came to a standstill, 16000 doctors, nurses and health workers resigned, know what is the reason

Health Staff Resign : 16000 से ज्यादा स्वास्थ्यकर्मियों ने इस्तीफा दे दिया है। स्वास्थ्यकर्मियों के इस्तीफे के बाद पूरे राज्य में हड़कंप मच गया है। इधर स्वास्थ्यकर्मयों की हड़ताल से प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गयी है। इस्तीफा देने वालों डाक्टर, ANM, लैब असिस्टेंट, फार्मासिस्ट सहित अन्य स्वास्थ्यकर्मी हैं। इधर स्वास्थ्यकर्मियों के इस कदम के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है।
दरअसल पूरा मामला छत्तीसगढ़ का है, जहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के 16000 संविदा कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा राज्य सरकार को सौंप दिया है। पिछले 19 दिन से NHM के स्वास्थ्यकर्मी नियमितिकरण सहित अन्य मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इस बीच सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए बुधवार की देर शाम 25 हड़तालियों को नौकरी से बर्खास्त कर दिया।
स्वास्थ्य विभाग की चेतावनी और 25 कर्मचारियों की बर्खास्तगी के विरोध में 16 हजार स्वास्थ्यकर्मियों ने सामूहिक इस्तीफा दे दिया है। आंदोलन अब और तेज हो गया है, जबकि स्वास्थ्य सेवाओं पर गंभीर असर पड़ रहा है। रायपुर जिला NHM संघ के संगठन मंत्री अमन दास ने बताया कि राज्यभर में करीब 16 हजार संविदा कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया है। केवल रायपुर में 1600, दुर्ग में 850 और रायगढ़ में 500 कर्मचारियों ने इस्तीफा दिया। हालांकि रायपुर के CMHO डॉ. मिथिलेश चौधरी ने कहा कि ज्ञापन लिया गया है लेकिन इसे औपचारिक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है।
सरकार का सख्त रुख
स्वास्थ्य विभाग ने हड़ताल खत्म करने का अल्टीमेटम दिया था। आदेश का पालन नहीं करने पर बुधवार को 25 संविदा कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया। इनमें संगठन के प्रदेश संरक्षक हेमंत सिन्हा और महासचिव कौशलेश तिवारी भी शामिल हैं।
बर्खास्तगी के बाद कर्मचारियों ने सामूहिक इस्तीफा देकर सरकार के खिलाफ मोर्चा और तेज कर दिया। उनका कहना है कि सिस्टम बातचीत और समाधान के रास्ते बंद कर चुका है, इसलिए प्रोटेस्ट ही आखिरी विकल्प है।
कर्मचारियों के अनोखे विरोध
NHM कर्मियों ने पिछले 18 दिनों में अलग-अलग तरीकों से विरोध जताया। कभी पीएम-सीएम और स्वास्थ्य मंत्री का मुखौटा पहनकर डांस किया, तो कभी खून से सरकार को पत्र लिखे। उनका कहना है कि 10 सूत्रीय मांगों को लेकर वे वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन सरकार ने अब तक ठोस समाधान नहीं निकाला।
सरकार का दावा
प्रदेश सरकार का कहना है कि कर्मचारियों की 10 में से पांच मांगें पूरी कर दी गई हैं और बाकी पर विचार जारी है। बावजूद इसके हड़ताल समाप्त नहीं हुई है। स्वास्थ्य मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी लगातार अपील कर रहे हैं कि कर्मचारी काम पर लौटें क्योंकि मौसमी बीमारियों का दौर है और स्वास्थ्य सेवाएं ठप पड़ने से आम जनता को परेशानी हो रही है।
संघ का आरोप
संविदा कर्मचारियों के संगठन का आरोप है कि अब तक उन्होंने 160 बार ज्ञापन सौंपे, लेकिन हर बार अनदेखी हुई। उनकी मांगों पर चर्चा करने के बजाय बर्खास्तगी के पत्र भेज दिए गए। इससे स्थिति और बिगड़ गई है। संगठन ने मुख्यमंत्री से सीधे हस्तक्षेप की अपील की है।अब सवाल यह है कि सरकार 16 हजार कर्मचारियों के सामूहिक इस्तीफे को किस तरह संभालेगी।
स्वास्थ्य सेवाओं के लगातार प्रभावित होने से मरीजों और उनके परिजनों को भारी दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था की नींव को हिला दिया है। सरकार और संविदा कर्मियों के बीच गतिरोध टूटेगा या टकराव और गहराएगा, यह आने वाले दिनों में साफ होगा।