झारखंड: नक्सलियों के पास इतने हाईटेक हथियार आते कहां से हैं? JJMP के कमांडरों के आत्मसमर्पण मिले हथियारों ने पुलिस को भी किया हैरान, अब पुलिस हथियारों के नेटवर्क की करेगी तलाश

Jharkhand: Where do Naxalites get such high-tech weapons from? The weapons recovered from the surrender of JJMP commanders surprised the police as well, now the police will search for the network of weapons

Jharkhand Naxal News : देश से नक्सलियों के खात्मे का काउंटडाउन जारी है। केंद्र सरकार ने ठान रखा है कि अगले साल मार्च तक देश से नक्सलियों का पूरी तरह खात्मा हो जायेगा। नक्सलियों के खिलाफ बड़े बड़े आपरेशंस चल रहे हैं। कई नक्सली मारे जा रहे हैं, कई नक्सली जान जाने के डर से हथियार के साथ समर्पण कर रहे हैं।

 

इसी कड़ी में पलामू जिले में नक्सली इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण हुआ। प्रतिबंधित संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) के 9 कमांडरों ने आत्मसमर्पण ने कर दिया है। इस बड़े आत्मसमर्पण ने लोगों को जितना नहीं चौका है, उससे ज्यादा उनके हथियारों ने हैरान किया है। दरअसल आत्मसमर्पित नक्सलियों ने 12 ऑटोमेटिक हथियार पुलिस को सौंपे हैं।

 

सबसे बड़ा आत्मसमर्पण, पहली बार पुलिस को मिले एके सीरीज हथियार

इन हथियारों में 4 एके-47 और 1 एके-56 भी शामिल है। झारखंड के नक्सली इतिहास में पहली बार पुलिस के हाथ एके सीरीज के हथियार लगे हैं। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि इतने आधुनिक हथियार जेजेएमपी तक कैसे पहुंचे। पलामू में 1 सितंबर 2025 को नक्सली विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता दर्ज की गई।

 

प्रतिबंधित संगठन झारखंड जनमुक्ति परिषद (जेजेएमपी) के नौ शीर्ष कमांडरों ने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण के दौरान नक्सलियों ने 12 ऑटोमेटिक हथियार सौंपे, जिनमें चार एके-47, एक एके-56 और अन्य अत्याधुनिक राइफलें शामिल थीं। यह पहली बार है जब झारखंड पुलिस के हाथ एके सीरीज के हथियार लगे हैं।

 

पुलिस जांच में जुटी, हथियारों के स्रोत की तलाश

हथियारों की बरामदगी के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है। सवाल यह है कि आखिर जेजेएमपी जैसे संगठन के पास इतने आधुनिक हथियार आए कहां से। पुलिस का मानना है कि इनमें से कुछ हथियार माओवादी और तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी (टीएसपीसी) से लूटे गए हो सकते हैं।पलामू जोन के आईजी सुनील भास्कर ने बताया कि आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से पूछताछ की जा रही है और उन्हें रिमांड पर लेकर हथियारों के स्रोत की पूरी जानकारी जुटाई जाएगी।

 

जेजेएमपी का इतिहास और हथियारों की ताकत

जेजेएमपी का गठन साल 2007-08 में हुआ था। उस समय माओवादियों का जोनल कमांडर संजय यादव अपने दस्ते के साथ अलग होकर इस संगठन में शामिल हुआ था। बाद में माओवादी और टीएसपीसी के कई उग्रवादी इसमें जुड़ गए। वे अपने साथ आधुनिक हथियार भी लाए, जिनमें एके सीरीज की राइफलें प्रमुख थीं।

झारखंड पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से अब तक जेजेएमपी के पास से लगभग 20 एके-47, चार एके-56 और 20 इंसास व एसएलआर राइफलें बरामद की जा चुकी हैं। इस संगठन ने लंबे समय तक पलामू जोन में अपनी पकड़ बनाए रखी थी।

 

पूछताछ से मिली अहम जानकारियां

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों से पूछताछ में पुलिस को कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली हैं। आईजी सुनील भास्कर ने बताया कि जेजेएमपी के नक्सलियों ने यह स्वीकार किया है कि उनके पास मौजूद कई हथियार माओवादी और टीएसपीसी से लूटे गए थे। इसके अलावा पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं हथियारों की आपूर्ति अवैध हथियार तस्करी चैनल से तो नहीं हुई।

 

संगठन का सफाया, अब सप्लाई नेटवर्क पर नजर

पलामू जोन में अब जेजेएमपी का लगभग पूरी तरह सफाया हो गया है। पुलिस अब उन व्यक्तियों और नेटवर्क को ट्रैक कर रही है, जो नक्सलियों तक हथियार और गोलियां पहुंचाने का काम करते हैं। अधिकारियों का कहना है कि इस आत्मसमर्पण के बाद क्षेत्र में नक्सली गतिविधियों पर बड़ी चोट पहुंची है।

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