बाबूलाल मरांडी की CID अफसरों को चेतावनी, “निष्पक्ष जांच करें, समय बदलता है” कहा – “युवाओं को डराने में जुटी है हेमंत सरकार”
Babulal Marandi warned CID officers, "Conduct an impartial investigation, times change." He said, "The Hemant government is trying to intimidate the youth."

रांची। झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) CGL परीक्षा पेपर लीक को लेकर राजनीतिक हलचल तेज़ हो गई है। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया पोस्ट जारी कर झारखंड सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। मरांडी ने कहा है कि पेपर लीक मामले की सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की पीठ में पूरी हो चुकी है और फैसला सुरक्षित रखा गया है, इसके बावजूद सरकार और उसकी एजेंसियां उन युवाओं को डराने-धमकाने में लगी हैं, जिन्होंने इस घोटाले को उजागर किया।
झारखंड सरकार की तानाशाही का एक और उदाहरण:
राज्य की बहुचर्चित JSSC-CGL परीक्षा पेपर लीक प्रकरण में माननीय झारखंड हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने सुनवाई पूरी कर अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
परंतु चौंकाने वाली बात यह है कि जब यह मामला न्यायालय के अधीन है, तब भी झारखंड सरकार… pic.twitter.com/CXuUipqFus
— Babulal Marandi (@yourBabulal) November 5, 2025
युवाओं की आवाज उठाने वालों को निशाना बनाने का आरोप
उन्होंने कहा कि कोर्ट में सुनवाई पूरी होने के बावजूद सरकार छात्रों की आवाज उठाने वाले नेताओं को नोटिस भेज रही है। मरांडी ने CID पर आरोप लगाया कि वह असली दोषियों को बचाने और भ्रष्टाचार छिपाने में जुटी है। मरांडी ने अपने पोस्ट में कहा कि पेपर लीक प्रकरण में लगातार आवाज उठाने वाले कुणाल प्रताप सिंह और प्रकाश पोद्दार को CID द्वारा नोटिस भेजा गया है, जो दर्शाता है कि सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए जांच एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है।
उन्होंने कहा कि “जब मामला न्यायालय के अधीन है, तब भी युवाओं को डराया जा रहा है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों पर आघात है।”मरांडी के अनुसार, हेमंत सरकार भ्रष्टाचार उजागर करने वालों के खिलाफ कार्रवाई कर रही है, जबकि असली दोषियों को बचाने की कोशिश की जा रही है।
“28 युवाओं में से सिर्फ 10 पास हुए, लेकिन आरोपी केवल 1 क्यों?”
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने पेपर लीक की जांच पर कई सवाल उठाए। उन्होंने बताया कि 28 छात्र नेपाल में पेपर पढ़ने गए थे, जिनमें से 10 अभ्यर्थी परीक्षा में सफल हुए। लेकिन CID ने उनमें से केवल 1 को आरोपी बनाया, जबकि बाकी 9 को नामजद नहीं किया गया।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि सरकार के अधिकारियों के खिलाफ बयान देने वाले मनीष और दीपिका, जो इस मामले में इंटरवेनर भी बने हैं और परीक्षा में भी सफल हुए हैं, वे संतोष मस्ताना के खिलाफ कैसे बयान दे सकते हैं?मरांडी ने पूछा कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष जांच के दायरे में कैसे आती है?
जांच पर उठाए सवाल – कॉल डंप, CCTV और नेपाल जांच पर शंका
मरांडी ने CID द्वारा की गई जांच को लेकर कई प्रश्न खड़े किए। उन्होंने पूछा:
• क्या नियामतपुर, रांची, हजारीबाग, पटना और मंत्री रेजिडेंसी जैसे संदिग्ध स्थानों पर सफल अभ्यर्थियों के मोबाइल नंबरों का कॉल डंप निकाला गया?
• क्या इन सभी स्थानों की CCTV फुटेज की जांच हुई?
• नेपाल के जिन होटलों में अभ्यर्थी ठहरे थे, वहां फिजिकल वेरिफिकेशन या विस्तृत जांच की गई?
उन्होंने कहा कि अगर जांच ईमानदारी से नहीं होगी, तो सत्य सामने कैसे आएगा?
“युवाओं की आवाज़ दबाने की कोशिश सफल नहीं होगी”
मरांडी ने हेमंत सोरेन सरकार को सीधा संदेश देते हुए कहा कि युवाओं की आवाज़ दबाने की कोशिश इतिहास में कभी सफल नहीं हुई है।उन्होंने कहा, “झारखंड का युवा अब अन्याय के खिलाफ लड़ने को एकजुट है। चाहे जितना दमन हो, सत्य और न्याय की जीत निश्चित है।”
CID अधिकारियों को चेतावनी – “निष्पक्ष जांच करें, समय बदलता है”
मरांडी ने CID अधिकारियों को भी संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें निष्पक्ष जांच करनी चाहिए, क्योंकि सरकारें बदलती रहती हैं।उन्होंने कहा:“अगर हाई कोर्ट इस मामले में CBI जांच का आदेश देता है, तो आप पर उंगली न उठे। इसलिए युवाओं को अनावश्यक परेशान करना बंद करें और निष्पक्ष जांच करें।”









