डीएसपी की फोटो चोरी कर 72 लाख उड़ाये, प्रधानमंत्री कार्यालय से आये जांच के आदेश के बाद पुलिस भी रह गयी हैराना, चर्चित डीएसपी संतोष पटेल को लेकर….
DSP's photo stolen and Rs 72 lakh embezzled, even the police were surprised after the investigation order came from the Prime Minister's Office, regarding the famous DSP Santosh Patel...

Crime News। देश के चर्चित DSP संतोष पटेल बनकर 72 लाख से ज्यादा की ठगी कर ली गयी। मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंची, जिसके बाद जांच शुरू हुई, तो चौकाने वाली जानकारी सामने आयी। जिस डीएसपी के नाम पर लाखों की ठगी हुई, दरअसल उन्हे ठगी की कोई जानकारी ही नहीं थी। पूरा मामला छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले का है, जहां एक आदिवासी महिला से नौकरी लगाने के नाम पर 72 लाख रुपये की ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
पुलिस जांच में पता चला कि जिस व्यक्ति को महिला सात साल से मध्य प्रदेश पुलिस का डीएसपी समझकर पैसे भेज रही थी, वह असल में एमपी के सीधी जिले का एक साधारण जेसीबी ऑपरेटर निकला। आरोपी ने सोशल मीडिया पर मशहूर एक अफसर की तस्वीर का इस्तेमाल कर खुद को अधिकारी बताकर करोड़ों की ठगी का जाल बिछाया था।
छत्तीसगढ़ पुलिस की जांच ने मोड़ बदला
कुसमी थाना क्षेत्र में पीड़िता ने शिकायत दर्ज कराई थी कि मध्य प्रदेश पुलिस में पदस्थ एक डीएसपी ने उसके दोनों बेटों की सरकारी नौकरी लगवाने के नाम पर 72 लाख रुपये हड़प लिए। शुरूआती जांच के बाद छत्तीसगढ़ पुलिस की टीम ग्वालियर पहुंची, जहाँ उन्हें उस अधिकारी की तलाश थी जिसके नाम और फोटो का दुरुपयोग हुआ था।
जांच का फोकस असिस्टेंट कमांडेंट संतोष पटेल पर गया, जो पहले ग्वालियर में डीएसपी रह चुके हैं और सोशल मीडिया पर 2.2 मिलियन से अधिक फॉलोअर्स रखते हैं। ठग ने इन्हीं की फोटो का उपयोग कर खुद को डीएसपी बताकर महिला से विश्वास जीता था।
अधिकारी भी फोटो देखकर दंग रह गए
छत्तीसगढ़ पुलिस जब बालाघाट हॉक फोर्स में पदस्थ अधिकारी संतोष पटेल से मिली, तो उनके सामने फाइलें रखीं जिनमें उनकी वर्दी वाली तस्वीरें लगी थीं। तस्वीरें देखकर अधिकारी खुद भी स्तब्ध रह गए। इसके बाद पुलिस ने पीड़िता को वीडियो कॉल के जरिए सच समझाने की कोशिश की, लेकिन वह इस बात पर अड़ी रही कि पैसे उसी असली डीएसपी ने लिए हैं। इससे पुलिस को अंदाजा हो गया कि मामला गहराई में जाकर ही सुलझेगा।
सात साल की ठगी का मास्टरमाइंड—जेसीबी ऑपरेटर
तफ्तीश आगे बढ़ी तो सच्चाई सामने आई। ठगी करने वाला था—29 वर्षीय संतोष पटेल, जो सीधी जिले के चुरहट थाना क्षेत्र का रहने वाला एक जेसीबी ऑपरेटर और पूर्व पेटी कॉन्ट्रैक्टर है।जांच में पता चला कि वर्ष 2016 में छत्तीसगढ़ में सड़क निर्माण के काम के दौरान आरोपी की मुलाकात ललकी बाई नामक महिला से हुई थी।
महिला उस क्षेत्र में बकरियाँ चराने जाती थी। कुछ महीनों बाद आरोपी ने उसे फोन कर बताया कि वह ‘डीएसपी बन गया है’ और अपनी “नौकरी भी पैसे देकर लगवाई है”।इसके बाद उसने महिला को लालच दिया कि यदि वह अपने बेटों को पुलिस विभाग में भर्ती कराना चाहती है, तो उसे पैसा देना होगा।
72 लाख रुपये भेजने के लिए जमीन तक बेच दी
महिला ने विश्वास में आकर 2018 से 2025 के बीच फोन-पे से धीरे-धीरे 72 लाख रुपये आरोपी के खातों में भेज दिए। इस दौरान उसने रिश्तेदारों से उधार लिया, गहने गिरवी रखे और जमीन भी बेच डाली—लेकिन उसे पता नहीं था कि वह सात साल से एक ठग के झांसे में है।
आरोपी गिरफ्तार, पैसा कहाँ गया—पुलिस की बड़ी चुनौती
12 नवंबर को आरोपी जेसीबी ऑपरेटर को गिरफ्तार कर लिया गया। पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि उसने पूरा पैसा खर्च कर दिया है। हालांकि पैसा कहाँ और कैसे खर्च हुआ—इसका खुलासा वह अभी तक स्पष्ट रूप से नहीं कर पाया है। पुलिस अब रकम के उपयोग और संभावित अन्य पीड़ितों की तलाश में जुटी है।
डिजिटल पहचान चोरी के खतरे का बड़ा उदाहरण
यह मामला सिर्फ ठगी का नहीं, बल्कि सोशल मीडिया और डिजिटल पहचान के दुरुपयोग की एक गंभीर मिसाल भी है। किसी अफसर की वायरल तस्वीर का इस्तेमाल कर आरोपी सालों तक एक महिला का विश्वास जीतता रहा और उसकी पूरी जिंदगी की कमाई लूट ले गया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह घटना लोगों को डिजिटल दुनिया में सतर्क रहने की बड़ी सीख देती है—क्योंकि आज पहचान की चोरी, फर्जी प्रोफाइल और ऑनलाइन ठगी समाज के लिए बड़े खतरे के रूप में उभर रहे हैं।









