कर्मचारियों के लिए बड़ी खबर: ऑफिस आने-जाने में हुई दुर्घटना भी मानी जाएगी ड्यूटी पर हादसा, देना पड़ेगा मुआवजा, हाईकोर्ट का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पलटा
Big news for employees: Accidents while commuting to and from office will also be considered as accidents on duty, compensation will have to be paid, Supreme Court overturns High Court's decision

Court News : कर्मचारियों से जुड़ी एक अहम खबर है। सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाते हुए साफ कियाहै कि कर्मचारी क्षतिपूर्ति अधिनियम, 1923 की धारा-3 में इस्तेमाल वाक्यांश “नौकरी के दौरान और उसके कारण हुई दुर्घटना” का दायरा केवल कार्यस्थल तक सीमित नहीं है। अब कार्यस्थल और निवास स्थान के बीच यात्रा के दौरान हुई दुर्घटनाओं को भी इस प्रावधान के तहत कवर किया जाएगा, बशर्ते दुर्घटना का कार्य से स्पष्ट संबंध हो।
कोर्ट ने माना कि कर्मचारी जब ड्यूटी पर जा रहा हो या ड्यूटी पूरी करके घर लौट रहा हो, उस दौरान अगर कोई दुर्घटना होती है और उसके पीछे का कारण नौकरी से जुड़ा हो, तो उसे ‘ड्यूटी पर हुआ हादसा’ माना जाएगा। न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने यह फैसला सुनाया। उन्होंने कहा कि अधिनियम की धारा-3 की व्याख्या में अब तक विभिन्न न्यायालयों ने अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाए हैं, जिससे भ्रम की स्थिति बनी रहती है।
सुप्रीम कोर्ट का यह निर्णय बॉम्बे हाईकोर्ट के एक पुराने फैसले को पलटते हुए आया है। दरअसल, दिसंबर 2011 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक आदेश पारित किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई। मामला महाराष्ट्र के उस्मानाबाद जिले का था, जहां एक व्यक्ति की ड्यूटी पर जाते समय सड़क हादसे में मृत्यु हो गई थी।
मृतक चीनी मिल में चौकीदार के पद पर कार्यरत था। उसकी ड्यूटी सुबह 3 बजे से लेकर 11 बजे तक की थी, और वह अपने कार्यस्थल के लिए निकल चुका था। रास्ते में, कार्यस्थल से करीब 5 किलोमीटर पहले, एक दुर्घटना में उसकी मौत हो गई।इस मामले में श्रमिक क्षतिपूर्ति आयुक्त एवं सिविल न्यायाधीश ने मृतक के परिजनों को 3,26,140 रुपये का मुआवज़ा ब्याज सहित देने का आदेश दिया था।
हालांकि, बाद में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस आदेश को रद्द कर दिया था, यह कहते हुए कि दुर्घटना कार्यस्थल पर नहीं हुई, इसलिए मुआवज़ा नहीं बनता। अब सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले को खारिज कर दिया और माना कि यदि कोई कर्मचारी कार्यस्थल के लिए निकल चुका है और उस दौरान हादसा होता है, तो उसे ड्यूटी से जुड़ा माना जाएगा—यदि समय, स्थान और परिस्थिति से यह साबित होता है कि दुर्घटना का कार्य से सीधा संबंध है।
यह निर्णय लाखों कर्मचारियों के लिए एक राहत भरी खबर है, खासकर उनके लिए जो लंबी दूरी तय करके अपने कार्यस्थल पहुंचते हैं. यह फैसला कर्मचारियों के अधिकारों को मजबूत करता है और यह मान्यता देता है कि ड्यूटी केवल ऑफिस के गेट से शुरू नहीं होती, बल्कि उसके लिए किया गया सफर भी उतना ही महत्वपूर्ण है.