ED ने किया बड़ा खुलासा, इस तरह फर्जी दस्तावेज से हुई 103 एकड़ वन भूमि की खरीद-बिक्री

ED: ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच में सामने आया है कि बोकारो के चास अंचल अंतर्गत तेतुलिया मौजा स्थित वन विभाग की 103 एकड़ से ज्यादा वन भूमि की खरीद-फरोख्त फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर की गयी है. इस दौरान बोकारो वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) की रिपोर्ट की भी जांच की गयी, जिसमें ईडी ने बोकारो डीएफओ की रिपोर्ट को सही पाया है.
जमाबंदी वॉल्यूम से फटा था पेज
जानकारी के अनुसार, ईडी को जांच में जानकारी मिली कि तेतुलिया मौजा की जमीन के लिए बनाये गये जमाबंदी वॉल्यूम में पेज नंबर 60 से 75 तक फटा हुआ था. लेकिन इस मामले में जवाबदेह पदाधिकारियों ने कोई कार्रवाई नहीं की. वहीं, इस मौजा की जमीन को लेकर दावा की जा रही लगान रसीद को भी मिलान में सही नहीं पाया गया यानी लगान रसीद भी नकली निकली. इस मामले में जमीन की बिक्री के लिए वन संरक्षक के नाम का फर्जी एनओसी इस्तेमाल किया गया. इसे ईडी ने जांच में सही पाया.
14 लोगों को बेची 147.32 डिसमिल जमीन
बताया गया कि इस मामले में शैलेश सिंह नाम के व्यक्ति ने 14 लोगों को अलग-अलग तारीखों पर 147.32 डिसमिल जमीन बेची. वन भूमि की इस खरीद-बिक्री में करोड़ों रूपये का मनी ट्रेल हुआ था. तेतुलिया मौजा के थाना नंबर 38 में अधिसूचित संरक्षित वन भूखंड संख्या 426 और 450 में 85.75 एकड़ जमीन को वन अधिनियम 1980 के प्रावधानों का उल्लंघन कर जंगल झाड़ी से पुरानी परती में बदल दिया गया था. इस दौरान बंदोबस्त कार्यालय धनबाद से पत्राचार करने पर उनके द्वारा अनियमितता के लिए जिम्मेदार पदाधिकारी और कर्मचारियों के संबंध में कोई सूचना डीएफओ को नहीं दी गयी थी.
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इनके ठिकानों पर ईडी ने दी थी दबिश
वहीं, मामले में जांच के दौरान ईडी ने बोकारो के अपर समाहर्ता मुमताज अंसारी, बोकारो की डीटीओ वंदना सेजवलकर (पूर्व में चास की सीओ रही), धनबाद के डीटीओ (पूर्व में चास अंचल के सीओ रहे), धनबाद जिला बंदोबस्त पदाधिकारी निर्मल सोरेन सहित कई अन्य लोगों के ठिकानों पर दबिश दी थी.