इंसानियत ज़िंदा है: झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने घायल बुज़ुर्ग को पहुँचाया अस्पताल” सड़क पर तड़प रहे बुजुर्ग की इस तरह बजाई जान

Humanity is alive: Jharkhand's health minister took the injured old man to the hospital" This is how he saved the life of the old man who was writhing in pain on the road

धनबाद: “इंसानियत सबसे बड़ी सेवा है” — इस विचार को साकार किया झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री ने, जब वे रांची से लौटते वक्त सड़क पर घायल पड़े एक बुज़ुर्ग की मदद के लिए खुद रुक गए।

 

घटना गोविंदपुर के पास की है, जहां सुलेमान अंसारी नामक एक बुज़ुर्ग सड़क किनारे गंभीर रूप से घायल अवस्था में पड़े थे। बताया जा रहा है कि उन्हें किसी तेज़ रफ्तार वाहन ने टक्कर मारी और चालक मौके से फरार हो गया। तमाम गाड़ियाँ वहां से गुज़रती रहीं, लेकिन किसी ने रुककर मदद करने की ज़हमत नहीं उठाई।

 

इसी दौरान स्वास्थ्य मंत्री का काफिला वहां से गुज़रा। मानवीय संवेदनाओं से प्रेरित होकर उन्होंने तुरंत काफिला रुकवाया, खुद गाड़ी से उतरे और घायल बुज़ुर्ग को उठाकर प्राथमिक उपचार दिलवाया। इसके बाद उन्हें एंबुलेंस के ज़रिये तुरंत धनबाद सदर अस्पताल भेजा गया। मंत्री ने सिविल सर्जन को फोन कर बेहतर इलाज के निर्देश दिए और आर्थिक सहायता भी प्रदान की।

 

घायल बुज़ुर्ग की नातिन, जो मौके पर पहुँची थीं, भावुक होकर रो पड़ीं और बोलीं, “अगर आप नहीं होते तो आज मेरे दादा जिंदा नहीं होते।” इस क्षण ने सभी को झकझोर कर रख दिया।

 

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “हम मंत्री बाद में हैं, पहले इंसान हैं। जहां ज़रूरत हो, वहां रुकना ही इंसानियत है। लोगों की सेवा ही असली राजनीति है।”

 

उनकी इस संवेदनशीलता और तत्परता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सच्ची सेवा पद या प्रतिष्ठा से नहीं, बल्कि दिल से होती है।

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