देवघर श्रावणी मेला में स्वास्थ्य व्यवस्था की खुली पोल! बिना डॉक्टर के चल रहा स्वास्थ्य शिविर.सेटिंग का खेल या…

Deoghar: श्रावणी मेला में व्यवस्था पर मुख्यमंत्री से लेकर स्वास्थ्य मंत्री तक लाख दावे किए जा रहे हो पर जमीनी हकीकत कुछ और ही है। स्वास्थ्य शिविर में डॉक्टर नदारद है जबकि कागजी खाना पूर्ति जारी है। पिछले दिनों बड़ी सड़क दुर्घटना के वावजूद स्वास्थ्य व्यवस्था सजग नहीं है।मालूम हो कि पिछले सप्ताह 18 कांवड़ियों की मौत ही गई थी जबकि कई गंभीर स्थिति में अस्पताल लाए गए थे।

क्या है मामला

श्रावणी मेला के मद्देनजर सरकार कई तरह की तैयारी की जाती है,जिसमें स्वास्थ्य विभाग की अहम भूमिका मानी जाती है। स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर से राज्य भर के डॉक्टर और पारा मेडिकल कर्मियों की प्रतिनियुक्ति करता है। परंतु ये सिर्फ कागजों तक ही सिमट जाता है। जितने भी स्वास्थ्य शिविर हैं वो सिर्फ पारा  मेडिकल कर्मियों के बदौलत चल रहे है। आदेश के अनुरूप कुछ डॉक्टर योगदान देकर गायब हो जाते है तो कुछ योगदान देते ही नहीं। आश्चर्य की बात ये है कि गायब होने वाले डॉक्टर पर कोई कारवाई नहीं होती।

सेटिंग का खेल या सिर्फ खानापूर्ति….

श्रावणी मेला में योगदान देने वाले डॉक्टरों को स्वास्थ्य शिविर आवंटित किए जाते हैं परंतु डॉक्टर ड्यूटी नहीं करते और अनधिकृत रूप से गायब ही जाते है।सिविल सर्जन कार्यालय को जानकारी के वावजूद इसपर कोई कारवाई नहीं की जाती, मसलन स्वास्थ्य शिविर पारा मेडिकल कर्मी संभाल रहे है।

डॉक्टरों की कमी के कारण गंभीर अवस्था में पहुंचे कांवड़ियों को समुचित इलाज नहीं मिल पा रहा है।जबकि सूत्र बताते है कि ड्यूटी समाप्त होते ही ड्यूटी से गायब डॉक्टर को बिना कारवाई के कार्यालय की मिलीभगत से सामान्य रूप से विरमित कर दिया जाता है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या सिविल सर्जन कार्यालय में सेटिंग का खेल तो नहीं चल रहा!

गायब डॉक्टर को सिर्फ सोमवार की रहने की दी जाती है सलाह

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सेटिंग कर गायब डॉक्टर को सोमवार को ऑन कॉल,अलर्ट या ड्यूटी पर रहने की सलाह दी जाती है।ये सलाह डॉक्टर की पैरवी का स्तर और सेटिंग के स्तर पर निर्भर करता है।इस तरह की सेटिंग कमोबेश पैरामेडिकल कर्मियों के मामले में भी जारी है। इस सेटिंग के खेल का स्तर अलग अलग है। सभी सुविधा के लिए अलग अलग व्यवस्था है।

 

 

 

 

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