झारखंड- 4.50 करोड़ सैलरी: बोकारो का बेटा बना एप्पल का इंजीनियरिंग मैनेजर, मिला ₹4.50 करोड़ का पैकेज, हर महीने मिलेगी 37.50 लाख सैलरी

Jharkhand- 4.50 crore salary: Bokaro's son becomes Apple's engineering manager, gets a package of ₹4.50 crore, gets 37.50 lakh salary every month

बोकारो। बोकारो जिले के लिए बड़ा ही गर्व का पल है। एक होनहार युवा ने दुनिया की शीर्ष टेक कंपनियों में शुमार एप्पल में इंजीनियरिंग मैनेजर बनकर जिले और राज्य का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है। बीएसएल (बोकारो स्टील प्लांट) में कार्यरत सीनियर ऑपरेटिव साजन महतो के बेटे मनीष प्रकाश को एप्पल ने ₹4.50 करोड़ वार्षिक पैकेज पर बतौर इंजीनियरिंग मैनेजर नियुक्त किया है।

 

कहां से शुरू हुआ मनीष का सफर?

मनीष की सफलता की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। मनीष मूल रूप से बोकारो जिले के जैनामोड़ के निवासी मनीष ने प्रारंभिक पढ़ाई जीजीपीएस, बोकारो से की, जबकि 12वीं की पढ़ाई दी पेंटीकॉस्टल एसेंबली स्कूल (सेक्टर 12) से पूरी की। इसके बाद उन्होंने बेंगलुरु से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया।

 

एप्पल में हुई सीधी नियुक्ति, अब लंदन भेजे जाएंगे

बीटेक के बाद मनीष ने बेंगलुरु में ही एप्पल कंपनी जॉइन की, जहां उनके काम, नेतृत्व क्षमता और तकनीकी कौशल को देखते हुए कंपनी ने उन्हें इंजीनियरिंग मैनेजर पद पर प्रमोट किया।

अब कंपनी उन्हें अगले महीने लंदन भेजने वाली है, जहां वे एप्पल के इंटरनेशनल ऑपरेशंस से जुड़ी ज़िम्मेदारियां निभाएंगे।

 

कितनी है ₹4.50 करोड़ की सैलरी?

मनीष को मिला कुल पैकेज ₹4.50 करोड़ प्रति वर्ष का है। यानी –

• मासिक सैलरी: ₹37.5 लाख

• प्रतिदिन (30 दिनों पर आधारित): ₹1.25 लाख

• प्रति घंटा (8 घंटे/दिन पर आधारित): लगभग ₹15,625

इसमें बेस सैलरी, स्टॉक्स, बोनस और अन्य इंसेन्टिव्स शामिल हो सकते हैं।

परिवार बना ताकत, पत्नी और बहनों को दी सफलता का श्रेय

मनीष कहते हैं –“मेरी पत्नी स्वाति, और मेरी बहनें आरती व उपासना, यही मेरी असली ताकत हैं। मैं जहां भी पहुंचा हूं, उनके बिना मुमकिन नहीं था। आज भी और आगे भी, मेरा परिवार ही मेरा संबल रहेगा।”

मनीष के पिता साजन महतो बीएसएल के इस्पातकर्मी हैं और मां निर्मला देवी एक गृहिणी। घर की साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले मनीष ने यह साबित कर दिया कि सपनों को पूरा करने के लिए साधन नहीं, संकल्प चाहिए होता है।

 

बोकारो को मिला नया रोल मॉडल

मनीष की इस सफलता ने बोकारो के युवाओं के बीच नई ऊर्जा और उम्मीद का संचार किया है। कई शिक्षक, मित्र और समाज के लोग उन्हें सोशल मीडिया पर बधाई दे रहे हैं और यह उदाहरण दे रहे हैं कि छोटे शहरों से निकलकर भी युवा ग्लोबल कंपनियों में ऊंचे मुकाम हासिल कर सकते हैं।

ashrita

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