झारखंड- नियुक्ति पर रोक: हाईकोर्ट ने JSSC के खिलाफ दायर याचिका पर की सुनवाई, अब 4 नवंबर को अगली हेयरिंग, 33 अभ्यर्थियों ने दायर की…

Jharkhand- Appointment stay: High Court hears petition against JSSC, next hearing on November 4, 33 candidates filed...

रांची। हाईकोर्ट ने महिला सुपरवाइजर की नियुक्ति पर रोक बरकरार रखी है। इससे पहले इस मामले में शुक्रवार को महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। जस्टिस आनंद सेन की एकल पीठ में हुई सुनवाई के दौरान अदालत ने याचिकाकर्ताओं के आग्रह पर उन्हें पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय दिया और मामले की अगली सुनवाई 4 नवंबर को निर्धारित की। साथ ही अदालत ने फिलहाल नियुक्ति प्रक्रिया पर लगी रोक को बरकरार रखा है।

 

33 अभ्यर्थियों ने दी चुनौती

आकांक्षा कुमारी सहित कुल 33 अभ्यर्थियों ने झारखंड स्टाफ सेलेक्शन कमीशन (JSSC) की भर्ती प्रक्रिया को चुनौती दी थी। मामला बाल विकास परियोजना विभाग (ICDS) में महिला सुपरवाइजर के 421 पदों पर निकाली गई नियुक्ति से जुड़ा है। आयोग ने इस परीक्षा का विज्ञापन जारी कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की थी, जिसके तहत राज्यभर से बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।

 

आयोग ने योग्यता के आधार पर किया अस्वीकार

याचिकाकर्ता परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन आयोग की ओर से उनका चयन यह कहते हुए नहीं किया गया कि उनकी शैक्षणिक योग्यता विज्ञापन की शर्तों के अनुरूप नहीं है। JSSC का कहना था कि इन अभ्यर्थियों के पास विज्ञापन में मांगे गए “मुख्य विषय” की जगह सहायक विषयों (Subsidiary Subjects) की डिग्री है। वहीं, अभ्यर्थियों का तर्क है कि नियुक्ति नियमावली में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो केवल मुख्य विषय की डिग्री को ही मान्यता देता हो।

 

आरक्षण को लेकर भी उठे सवाल

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से यह मुद्दा भी उठाया गया कि किसी भी नियुक्ति में किसी वर्ग को 100 प्रतिशत आरक्षण नहीं दिया जा सकता। उन्होंने कहा कि यह विज्ञापन केवल महिलाओं के लिए आरक्षित किया गया है, जो संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है। उनका कहना था कि इससे अन्य योग्य अभ्यर्थियों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है।

 

आयोग का पक्ष — महिला कैडर के लिए ही भर्ती

वहीं, जेएसएससी की ओर से पेश अधिवक्ता संजय पिपरवाल और प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत में कहा कि यह भर्ती महिला कैडर (Women Cadre) के अंतर्गत की जा रही है, जो कि नियमों के अनुरूप है। उन्होंने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता परीक्षा में शामिल हुए थे, लेकिन उन्होंने विज्ञापन जारी होने के समय न तो इसकी शर्तों को और न ही नियमावली को चुनौती दी थी। परीक्षा में असफल होने के बाद अब इस पर आपत्ति जताना न्यायसंगत नहीं है।

 

अदालत ने कहा — फिलहाल नियुक्ति पर रोक जारी रहेगी

दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने कहा कि मामले की विस्तृत सुनवाई अगली तिथि पर की जाएगी। तब तक नियुक्ति प्रक्रिया पर रोक जारी रहेगी। अदालत ने यह भी संकेत दिया कि इस मामले में मुख्य मुद्दा शैक्षणिक पात्रता और आरक्षण नीति की वैधता से जुड़ा है, जिस पर 4 नवंबर को विस्तार से विचार किया जाएगा।

 

क्या है मामला

JSSC द्वारा वर्ष 2023 में जारी इस भर्ती विज्ञापन के तहत राज्य के विभिन्न जिलों में महिला सुपरवाइजर के 421 पदों को भरा जाना है। इसमें केवल महिला अभ्यर्थियों से आवेदन आमंत्रित किए गए थे। लेकिन योग्यता को लेकर भ्रम और पात्रता विवाद के चलते कई अभ्यर्थियों को चयन सूची से बाहर कर दिया गया। इसके बाद प्रभावित अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

 

फिलहाल अदालत का यह आदेश भर्ती प्रक्रिया को अस्थायी रूप से रोक देता है। अब 4 नवंबर की सुनवाई में यह तय होगा कि क्या JSSC की ओर से जारी की गई पात्रता शर्तें नियमावली के अनुरूप हैं या नहीं — और क्या महिला आरक्षण के तहत निकाली गई यह नियुक्ति संवैधानिक दायरे में आती है।

ashrita

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