झारखंड हाईकोर्ट में CGL पेपर लीक प्रकरण: परिणाम जारी करने पर रोक बरकरार, अगली सुनवाई 3 नवंबर को
Jharkhand High Court upholds CGL paper leak case; next hearing on November 3

रांची। झारखंड हाईकोर्ट में CGL पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच की मांग पर सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने तर्क दिया कि अब तक की जांच में पेपर लीक के सबूत नहीं मिले हैं और सिर्फ “गेस पेपर” मिलान का मामला सामने आया है। कोर्ट ने सरकार का आग्रह ठुकराते हुए परीक्षा परिणाम जारी करने पर लगी रोक को जारी रखा। मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी। इसी दौरान महिला सुपरवाइजर नियुक्ति और मंत्री योगेन्द्र प्रसाद के निर्वाचन से जुड़े मामलों पर भी सुनवाई हुई।
झारखंड हाईकोर्ट में शुक्रवार को चर्चित CGL पेपर लीक प्रकरण की सीबीआई से जांच की मांग वाली याचिका पर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ के समक्ष राज्य सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) की ओर से बहस पूरी कर ली गई।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने अदालत को बताया कि अब तक जांच में पेपर लीक होने के पुख्ता प्रमाण सामने नहीं आए हैं। उन्होंने कहा कि आरोपी संतोष मस्ताना की गिरफ्तारी के बाद जांच में यह तथ्य सामने आया कि परीक्षा के प्रश्न कथित “गेस पेपर” से मिलाए गए थे। ऐसे में यह पेपर लीक का मामला सिद्ध नहीं होता। उन्होंने हाईकोर्ट से अनुरोध किया कि चूंकि जांच में कोई ठोस लीक का सबूत नहीं मिला है, इसलिए परिणाम प्रकाशन पर लगी रोक हटाई जाए।
अदालत ने इस दौरान सीआईडी के आईजी, डीआईजी और मामले के जांच अधिकारी से अहम सवाल पूछे। कोर्ट ने पूछा कि जब एफएसएल जांच में मोबाइल कॉल लॉग नहीं मिला, तो क्या उसे पुनः प्राप्त करने की संभावना तलाश की गई? इस पर महाधिवक्ता ने कहा कि जांच जारी है और इस संबंध में भी आवश्यक मंतव्य लिया जाएगा।
महाधिवक्ता ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच के दौरान प्राप्त सभी तथ्यों को शपथ-पत्र के माध्यम से अदालत के संज्ञान में लाया गया है। इसलिए यह कहना गलत है कि सरकार अपनी स्थिति बार-बार बदल रही है। हालांकि अदालत ने उनके अनुरोध को अस्वीकार करते हुए परीक्षा परिणाम पर लगी रोक को यथावत रखा। अब मामले की अगली सुनवाई 3 नवंबर को होगी।
महिला सुपरवाइजर नियुक्ति पर भी रोक जारी, अगली सुनवाई 4 नवंबर
एक अन्य मामले में महिला सुपरवाइजर नियुक्ति प्रक्रिया के विरोध में दायर याचिका पर जस्टिस आनंद सेन की अदालत में सुनवाई हुई। प्रार्थी की ओर से पक्ष रखने के लिए समय मांगा गया, जिसे अदालत ने स्वीकार किया। विस्तृत सुनवाई अब 4 नवंबर को होगी। तब तक सुपरवाइजर नियुक्ति पर लगी रोक जारी रहेगी।
मंत्री योगेन्द्र प्रसाद के निर्वाचन विवाद मामले में हाईकोर्ट सख्त
गोमिया के विधायक और मंत्री योगेन्द्र प्रसाद के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका पर जस्टिस अनिल कुमार चौधरी ने सुनवाई की। अदालत ने प्रार्थी लंबोदर महतो को निर्देश दिया कि वे छह सप्ताह के भीतर याचिका में लगाए गए आरोपों का समर्थन करने वाले मूल दस्तावेज प्रस्तुत करें। वहीं मंत्री को भी अपना लिखित जवाब दाखिल करने का आदेश दिया गया।
हस्तक्षेपकर्ता का तर्क: चयन प्रक्रिया निरस्त करना उचित नहीं
सुनवाई के दौरान हस्तक्षेपकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण और अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने तर्क दिया कि सरकार द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों से ही सभी प्रश्नों के उत्तर मिल जाते हैं। उनका कहना था कि 22 अगस्त को भाषा विषय की परीक्षा होने के कारण अधिक अभ्यर्थी पास हुए। सुप्रीम कोर्ट के NEET मामले का उदाहरण देते हुए कहा गया कि यदि कुछ अभ्यर्थी संदिग्ध हैं, तो केवल उन्हें अलग कर परिणाम जारी किया जा सकता है। पूरी परीक्षा रद्द करना उपयुक्त नहीं होगा।
सारंडा वन क्षेत्र में खनन की अनुमति देने से हाईकोर्ट का इंकार
सारंडा वन क्षेत्र में खनन की अनुमति देने की मांग वाली निशांत रोड लाइंस कंपनी की याचिका पर भी सुनवाई हुई। जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की खंडपीठ ने संरक्षित क्षेत्र में खनन की अनुमति देने से साफ इंकार कर दिया। अदालत ने राज्य पर्यावरण प्रभाव आकलन प्राधिकरण (SEIAA) के फैसले को सही ठहराया और कहा कि संरक्षण क्षेत्र में खनन की अनुमति देना पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य को समाप्त कर देगा। अदालत ने शाह आयोग रिपोर्ट का उल्लेख किया और कहा कि सारंडा हाथियों का प्रमुख आवास क्षेत्र है, जहां खनन से पर्यावरणीय संतुलन को गंभीर खतरा होगा।अदालत ने SEIAA के निर्णय को वैध ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।









