झारखंड- शहादत को सलाम: एयरफोर्स अफसर दीपक सिंह का पार्थिव शरीर पहुंचा बोकारो, नम आंखों से दी गयी अंतिम विदाई
Jharkhand – Salute to martyrdom: Air Force officer Deepak Singh's body reaches Bokaro, tearful farewell given

बोकारो। एयरपोर्स के सार्जेंट दीपक कुमार सिंह का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक घर पहुचा। बोकारो जिले के दुग्दा फुलझरिया निवासी भारतीय वायु सेना के सार्जेंट दीपक कुमार सिंह का पार्थिव शरीर लाया गया। ड्यूटी के दौरान शहीद हुए जवान का पूरे सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया, हालांकि अंतिम विदाई में जिला प्रशासन की अनुपस्थिति पर सवाल भी उठे।
जैसे ही शहीद जवान का शव गांव पहुंचा, पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ गई। गांव की गलियां “अमर रहें” के नारों और नम आंखों के साथ अपने वीर सपूत को अंतिम विदाई देने के साक्षी बनीं। सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण, सामाजिक कार्यकर्ता और जनप्रतिनिधि शहीद के घर पहुंचे और परिजनों को ढांढस बंधाया।
भारतीय वायु सेना के सार्जेंट दीपक कुमार सिंह राजस्थान के जोधपुर स्थित एयर फोर्स स्टेशन की 33 सिग्नल यूनिट में पदस्थ थे। वे दुग्दा थाना क्षेत्र के फुलझरिया गांव के रहने वाले थे। उनके पिता का नाम शंभू सिंह है। बताया गया कि दीपक कुमार सिंह ड्यूटी के दौरान शहीद हो गए। उनके शहीद होने की खबर जैसे ही गांव और आसपास के क्षेत्रों में फैली, पूरे इलाके में शोक का माहौल छा गया।
शहीद जवान का अंतिम संस्कार जमुनिया नदी तट पर पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। भारतीय वायु सेना के जवानों ने शहीद को अंतिम सलामी दी और हवाई फायरिंग कर अपने साथी को श्रद्धांजलि अर्पित की। तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर जब अंतिम यात्रा पर निकला, तो हर आंख नम थी और हर दिल गर्व से भरा हुआ था। गांव के बुजुर्गों से लेकर युवाओं तक, सभी ने शहीद दीपक कुमार सिंह को देश का सच्चा सपूत बताते हुए उनके बलिदान को नमन किया।
शहीद के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। माता-पिता और अन्य परिजन अपने लाल के बलिदान पर गर्व तो कर रहे थे, लेकिन बेटे को खोने का गम उनकी आंखों से साफ झलक रहा था। ग्रामीणों ने परिवार को हर संभव सहयोग का भरोसा दिलाया और कहा कि पूरा गांव इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ा है।
हालांकि, शहीद के अंतिम संस्कार के दौरान जिला प्रशासन और स्थानीय प्रशासन की अनुपस्थिति को लेकर भी सवाल उठने लगे। स्थानीय मुखिया रीतीलाल रजक ने नाराजगी जताते हुए कहा कि शहीद दीपक कुमार सिंह इसी गांव के रहने वाले थे, लेकिन उनके अंतिम संस्कार में जिला प्रशासन या स्थानीय प्रशासन का कोई भी अधिकारी मौजूद नहीं था। मुखिया ने सवाल उठाया कि क्या शहीद जवानों के सम्मान में शामिल होना प्रशासन के लिए प्राथमिकता नहीं है, या फिर प्रशासन को इस संबंध में कोई औपचारिक सूचना नहीं दी गई थी।









