झारखंड: शिक्षकों की ट्रांसफर नीति, नियुक्ति, इंस्पेक्शन नीति, जानिये वो खास वजह, जिसके लिए शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का कार्यकाल किया जायेगा याद

Jharkhand: Teachers' transfer policy, appointment, inspection policy, know the special reason for which the tenure of Education Minister Ramdas Soren will be remembered

Ramdas Soren : शुक्रवार देर शाम झारखंड के शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का निधन हो गया। हालांकि वे अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए, लेकिन अपनी संघर्षशील राजनीतिक यात्रा और शिक्षा मंत्री के रूप में शुरू की गई योजनाओं के कारण उन्होंने एक स्थायी पहचान बनाई। कम समय में भी उन्होंने शैक्षणिक सुधारों के लिए कई अहम कदम उठाए थे, जिन्हें आज भी याद किया जा रहा है।

बतौर शिक्षा मंत्री वे भले ही अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाए, लेकिन अपनी कार्यशैली, दूरदर्शी नीतियों और सुधारवादी दृष्टिकोण से उन्होंने लोगों के दिलों में एक खास जगह बनाई। रामदास सोरेन का जीवन संघर्षों से भरा रहा। एक साधारण कार्यकर्ता से लेकर विधायक और फिर कैबिनेट मंत्री बनने तक का सफर उन्होंने आदिवासी समाज की उम्मीदों को साथ लेकर तय किया। झारखंड आंदोलन में उनकी सक्रिय भूमिका और संगठनात्मक क्षमता ने उन्हें एक सशक्त जननायक बनाया।

शिक्षा मंत्री के रूप में उपलब्धियां

शिक्षा विभाग की कमान संभालने के बाद रामदास सोरेन ने कई योजनाएं शुरू कीं, जिनका असर झारखंड की शिक्षा व्यवस्था पर दिखने लगा था।

• स्कूल रूअर–2025 अभियान: अप्रैल–मई 2025 में शुरू किए गए इस अभियान का उद्देश्य 5 से 18 वर्ष तक के सभी बच्चों का 100% नामांकन, उपस्थिति और कक्षा उन्नयन सुनिश्चित करना था।

• शिक्षक भर्ती और ट्रांसफर नीति: मार्च 2025 तक राज्य के 7,930 सरकारी स्कूल एक शिक्षक मॉडल पर चल रहे थे। इसे बदलने के लिए 26,000 सहायक शिक्षकों और 10,000 आदिवासी भाषा शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू की गई।

• निरीक्षण और गुणवत्ता नियंत्रण: उन्होंने आदेश दिया कि हर जिला शिक्षा पदाधिकारी महीने में कम से कम एक स्कूल का निरीक्षण करें और शिक्षण गुणवत्ता की समीक्षा करें।

• बुनियादी ढांचा सुधार: घाटशिला क्षेत्र के 18 स्कूलों में 400 बेंच-डेस्क वितरित किए गए। कई स्कूलों में वाटर कूलर, आरओ, लॉकर और सेनेटरी पैड मशीन जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं। इसके साथ ही राज्य में 80 नए CM School of Excellence खोलने की घोषणा भी की गई।

• नवाचार और प्रयोग: प्राथमिक स्कूलों के लिए No Bag Day का प्रस्ताव रखा गया। साथ ही जनजातीय भाषाओं को VI से X तक के पाठ्यक्रम में शामिल करने की दिशा में कदम उठाए।

• निजी स्कूलों पर अंकुश: निजी स्कूलों द्वारा मनमानी फीस वसूली पर नियंत्रण के लिए कानूनी पहल शुरू की।

• शैक्षिक ढांचे का पुनर्गठन: कक्षा 12 तक की पढ़ाई कॉलेजों से हटाकर हाई स्कूल और इंटरमीडिएट स्कूलों में स्थानांतरित करने की दिशा में नीति तैयार की।

स्मृतियों में रहेंगे सोरेन

रामदास सोरेन का निधन झारखंड की राजनीति और शिक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी क्षति है। एक समर्पित नेता, दूरदर्शी योजनाकार और संघर्षशील व्यक्तित्व के रूप में उनकी पहचान हमेशा बनी रहेगी। शिक्षा मंत्री के रूप में उनका अधूरा कार्यकाल आने वाले समय में भी उनकी नीतियों और निर्णयों के जरिए याद किया जाएगा।

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