नक्सली बने शिक्षकों के जान के दुश्मन, स्कूल से लौट रहे शिक्षक का किया अपहरण, फिर हत्या कर बीच सड़क पर फेंका, अब तक 9 शिक्षकों की …

Naxalites became the enemy of teachers' lives, kidnapped a teacher returning from school, then murdered him and threw his body on the road, so far 9 teachers have died...

Teacher Naxal Kidnep and Murder : नक्सली इन दिनों शिक्षकों के जान के दुश्मन बने हुए हैं। हाल के दिनों 9 शिक्षकों की हत्या नक्सलियों ने की है। घटना के बाद नक्सल इलाकों में तैनात शिक्षक खौफ से भरे हुए है। कमाल की बात ये है कि पिछले दो दिन के भीतर दो शिक्षक को नक्सलियों ने मौत के घाट उतार दिया। मामला छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र की है।

 

शुक्रवार को स्कूल से लौटने के दौरान शिक्षक का अपहरण नक्सलियों ने किया और फिर उसकी जान ले ली। घटना छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के तोड़का गांव की है, जहां एक शिक्षा दूत की बेरहमी से हत्या कर दी गई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इस घटना के बाद इलाके में भय और आक्रोश का माहौल है।

 

जानकारी के मुताबिक माओवादी बंदूकधारियों ने 25 वर्षीय शिक्षक कल्लू ताती की हत्या कर दी। कल्लू ताती गंगालूर क्षेत्र के नेड्रा स्कूल में पदस्थ थे और शुक्रवार शाम को स्कूल से लौटते समय उनका अपहरण कर लिया गया था। देर रात उनकी बेरहमी से हत्या कर दी गई।पुलिस के मुताबिक, शुक्रवार की रात को कल्लू ताती स्कूल से अपने घर लौट रहे थे, तभी नक्सलियों ने उनका अपहरण कर लिया और रात को उन्हें मौत के घाट उतार दिया।

 

पुलिस को घटनास्थल से कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। मृतक शिक्षक के शव को लेकर पुलिस अब घटनास्थल पर जांच कर रही है।यह घटना बस्तर क्षेत्र में बढ़ते माओवादी हमलों की एक कड़ी के रूप में सामने आई है। बीते डेढ़ साल में बस्तर में कुल 9 शिक्षकों की हत्या की जा चुकी है, जिनमें से 6 घटनाएं बीजापुर जिले में और 3 घटनाएं सुकमा जिले में हुई हैं। इस श्रृंखला के बाद अब तक 9 शिक्षादूतों की हत्या हो चुकी है, जो शिक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर खतरे का संकेत है।

 

शिक्षादूतों की हत्या के बाद पूरे इलाके में भय का माहौल है। स्थानीय लोग और शिक्षाकर्मी डर के साये में काम करने को मजबूर हो गए हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि लगातार हो रही इन हत्याओं के कारण उनके बच्चे स्कूल जाने से डरने लगे हैं और अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल से दूर रखने पर मजबूर हो रहे हैं।

 

शिक्षा दूत कौन हैं?

बस्तर क्षेत्र में लंबे समय से बंद पड़े स्कूलों को पुनः चालू करने के लिए राज्य शासन ने स्थानीय युवाओं को शिक्षा दूत (शिक्षक) के रूप में नियुक्त किया था। इन शिक्षा दूतों की वजह से कई गांवों में शिक्षा का अलाव फिर से जल सका है और बच्चों को स्कूलों में वापस लाने में मदद मिली है। हालांकि, माओवादियों को इन शिक्षा दूतों से यह शक है कि वे माओवादियों की गतिविधियों की सूचना पुलिस को देते हैं, जिसके चलते वे इन्हें निशाना बना रहे हैं।

 

इससे पहले 27 अगस्त को सिलगेर में शिक्षा दूत लक्ष्मण बारसे की हत्या की घटना ने पूरे इलाके को झकझोर दिया था। लक्ष्मण बारसे के परिवार पर लगातार हमले हो चुके थे। उनके भाई की तीन महीने पहले हत्या की गई थी और पिता की हत्या भी पिछले साल की गई थी। इस प्रकार, एक ही परिवार के तीन सदस्यों की अब तक हत्या की जा चुकी है।

 

इस हत्या की घटना ने बस्तर क्षेत्र में शिक्षा दूतों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर सवाल खड़ा कर दिया है। पुलिस ने इलाके में गश्त बढ़ा दी है और माओवादियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई है।

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