शिबू सोरेन: शिक्षक के बेटे से गुरुजी और फिर दिशोम गुरू तक सफर, नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन जब देश की राजनीति में बन गये थे किंग मेकर

Shibu Soren: From teacher's son to Guruji and then to Dishom Guru, when Shibu Soren, born in Nemra village, became a kingmaker in the country's politics

Shibu Soren Biography In hindi : झारखंड के प्रणेता शिबू सोरेन का आज निधन हो गया। शिबू सोरेन इस दुनिया में नहीं है, ऐसे में उनकी जीवन से जुड़ी यादों को लोग याद कर रहे हैं। शिबू सोरेन झारखंड की माटी से उपजा एक ऐसा नाम था, जिसने न केवल आदिवासी समाज को उसकी पहचान दिलाई, बल्कि संघर्ष की लौ को कभी बुझने नहीं दी। शिबू सोरेन, जिन्हें पूरे झारखंड में ‘गुरुजी’ और ‘दिशोम गुरु’ के नाम से जानता है।

 

नेमरा से संसद तक की प्रेरणादायक यात्रा

11 जनवरी 1944 को रामगढ़ जिले के नेमरा गांव में जन्मे शिबू सोरेन का बचपन अभावों में बीता। उनके पिता सोबरन सोरेन, जो एक स्कूल शिक्षक थे, की हत्या महाजनों ने धोखे से कर दी। इस दर्दनाक घटना ने शिबू के भीतर अन्याय के खिलाफ लड़ने की चिंगारी जलाई।युवावस्था में उन्होंने 1969-70 में नशाबंदी, साहूकारी और जमीन बेदखली के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की। यही वह दौर था, जब वे आदिवासी समाज के एक सशक्त नेतृत्वकर्ता बनकर उभरे।

 

झारखंड आंदोलन के सेनापति

1980 के दशक में शिबू सोरेन ने विनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की नींव रखी। 1987 में आयोजित विशाल जनसभा में उन्होंने अलग राज्य की मांग को लेकर निर्णायक संघर्ष का ऐलान किया।1989 में विधायक पद से इस्तीफा देकर उन्होंने केंद्र सरकार को 30 मई तक झारखंड गठन का अल्टीमेटम दिया। इस आंदोलन ने तब तक की सारी सीमाएं लांघ दीं और परिणामस्वरूप 15 नवंबर 2000 को झारखंड एक स्वतंत्र राज्य बनकर सामने आया। यह शिबू सोरेन के राजनीतिक जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है।

 

संसद और सत्ता में प्रभावशाली भूमिका

• 1980 में उन्होंने दुमका लोकसभा सीट से अपने संसदीय करियर की शुरुआत की।

• केंद्र सरकार में वे दो बार कोयला मंत्री बने:

o पहला कार्यकाल मई 2004 से जुलाई 2004 तक रहा, जिसमें उन्हें पुराने केस के चलते इस्तीफा देना पड़ा।

o दूसरा कार्यकाल जनवरी 2006 से नवंबर 2006 तक चला।

• वे तीन बार राज्यसभा सदस्य भी रहे:

o 1998 से 2001

o 2002 में अल्पकालीन कार्यकाल

o और वर्तमान कार्यकाल 2020 से 2025 तक।

 

तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री

शिबू सोरेन झारखंड के तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन उनका कार्यकाल हमेशा आसान नहीं रहा। 2006 में कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने के बाद उनका राजनीतिक जीवन संकट में आया, लेकिन बाद में न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया।

 

‘गुरुजी’ से ‘दिशोम गुरु’ तक

आदिवासी समाज के हितों के लिए लड़ते-लड़ते उन्होंने वह दर्जा हासिल किया जो केवल चंद लोगों को ही मिल पाता है — ‘दिशोम गुरु’। यह सम्मान उन्हें केवल उनके पद के कारण नहीं, बल्कि उनके जीवनभर के संघर्ष और बलिदान के कारण मिला है।हाल ही में झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग द्वारा उन्हें आधिकारिक रूप से आंदोलनकारी घोषित किया गया, जो उनके त्याग की औपचारिक स्वीकृति है।

 

राजनीतिक विरासत और प्रेरणा

उनके पुत्र हेमंत सोरेन, वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने अपने पिता से संघर्ष की राजनीति, जनसेवा और नेतृत्व का मार्गदर्शन पाया है। शिबू सोरेन आज भी झामुमो के संरक्षक के रूप में संगठन और राज्य की राजनीति को दिशा देने का कार्य कर रहे हैं।

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