झारखंड- नहीं जायेगी जवानों की नौकरी: झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, सैप जवानों की सेवा समाप्ति पर लगायी रोक, सरकार से जवाब तलब
Jharkhand- Soldiers will not lose their jobs: Jharkhand High Court's big decision, ban on termination of service of SAP soldiers, government asked for reply

रांची। सैप जवानों के लिए हाईकोर्ट से अच्छी खबर आयी है। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में कार्यरत सैप (SAP – Special Auxiliary Police) के 213 पदाधिकारियों और जवानों को राहत देते हुए उनकी सेवा बरकरार रखने का आदेश दिया है। जस्टिस आनंद सेन की अदालत में मामले की सुनवाई हुई। अदालत के आदेश से फिलहाल 213 सैप पदाधिकारी और जवानों को राहत मिली है। वे अपनी सेवाओं में बने रहेंगे। हालांकि, मामले का अंतिम फैसला आगे की सुनवाई में आएगा।
अदालत ने प्रार्थियों को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए सरकार को फिलहाल सैप के जवानों को हटाने से रोक लगा दी है। साथ ही राज्य सरकार से विस्तृत जवाब भी मांगा है। मामले की अगली सुनवाई छह सप्ताह बाद होगी। प्रकरण में शिव कुमार साव सहित अन्य प्रार्थियों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
जवानों की ओर से अधिवक्ता अपराजिता भारद्वाज ने अदालत को बताया कि 9 जुलाई 2025 को पुलिस महानिरीक्षक (IG) की ओर से एक पत्र जारी किया गया था। इसमें ऐसे सैप पदाधिकारी और जवानों की सूची मांगी गई थी, जिन्होंने दो साल या सात साल की सेवा पूरी कर ली हो।याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस सूची के आधार पर उन्हें हटाने की कार्रवाई हो सकती है।
उन्होंने आशंका जताई कि वर्ष 2023 में भी इसी तरह की सूची तैयार कर सैप जवानों को हटाया गया था। यही वजह है कि वे अदालत की शरण में गए।प्रार्थियों ने अदालत को यह भी बताया कि सैप योजना की अवधि 2027 तक बढ़ा दी गई है, ऐसे में बीच में सेवा समाप्त करना अनुचित और असंवैधानिक होगा। इसके अलावा विभाग ने पहले भी अनुशंसा की है कि सुबेदार और हवलदार की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष की जाए।
याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि जो जवान संविदा पर नियुक्त हैं, उन्हें नए संविदा कर्मियों से बदलना नियमों के विरुद्ध है। उन्होंने दलील दी कि सेवा विस्तार की अवधि तक उन्हें कार्यरत रहने देना चाहिए।
सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने प्रार्थियों को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए उनके हटाए जाने पर रोक लगा दी। अदालत ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा कि वह पूरे मामले पर अपना जवाब दाखिल करे।









