झारखंड शिक्षक भर्ती: हाईकोर्ट का रुख सख्त, जेएसएससी और सरकार से मांगा जवाब, कहा, Eligible Candidates उपलब्ध तो फिर क्यों नहीं जारी किया गया पूरा Result
Jharkhand teacher recruitment: High court takes a tough stand, demands answers from JSSC and government, says, if eligible candidates are available then why the complete result was not released

Jharkhand Teacher News : झारखंड हाईकोर्ट ने सहायक आचार्य (कक्षा 6-8) नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर दाखिल याचिका पर सख्ती दिखाई है। अदालत ने पूछा कि सभी योग्यताओं को पूरा करने और सीटें रिक्त होने के बावजूद अभ्यर्थियों का परिणाम क्यों नहीं जारी किया गया। अब सरकार और जेएसएससी को अगली सुनवाई से पहले जवाब देना होगा।
दरअसल झारखंड हाई कोर्ट में सहायक आचार्य (कक्षा 6 से 8) की नियुक्ति को लेकर दाखिल याचिका पर गुरुवार को सुनवाई हुई। जस्टिस आनंद सेन की एकल पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार और झारखंड कर्मचारी चयन आयोग (JSSC) से जवाब तलब किया है।
अदालत ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि जब तक मामले में अंतिम सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक रिक्त पदों का हस्तांतरण किसी अन्य प्रक्रिया के तहत नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई दिसंबर माह में निर्धारित की गई है।
355 अभ्यर्थियों ने दी चुनौती
इस मामले में महेंद्र रवानी समेत 355 अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने पक्ष रखते हुए बताया कि जेएसएससी ने सहायक आचार्य नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया था। इसके तहत विज्ञान शिक्षक पदों के लिए हजारों अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था।
सत्यापन में सब कुछ सही, फिर भी परिणाम अधूरा
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि भर्ती प्रक्रिया के दौरान लिखित परीक्षा और अन्य चरणों में सफल होने के बाद सभी दस्तावेजों का सत्यापन किया गया। सत्यापन में भी सभी प्रमाणपत्र सही पाए गए। बावजूद इसके आयोग ने अंतिम परिणाम में इन अभ्यर्थियों को शामिल नहीं किया। इससे साफ होता है कि चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं बरती गई।
2504 पदों में से 1119 पर परिणाम नहीं जारी
मामले का सबसे अहम पहलू यह है कि आयोग ने कुल 2504 सहायक आचार्य पदों पर नियुक्ति की प्रक्रिया चलाई थी। इनमें से 1119 पद गैर पारा-टीचर के लिए आरक्षित थे। इन पदों के लिए परीक्षा और दस्तावेज़ सत्यापन प्रक्रिया पूरी हो चुकी थी, लेकिन अंतिम परिणाम जारी नहीं किया गया। अदालत ने इस पर गंभीर सवाल उठाते हुए पूछा कि जब उम्मीदवार सभी तरह से योग्य हैं और सीटें रिक्त हैं, तो परिणाम जारी करने में देरी क्यों की जा रही है।
अदालत की सख्ती
जस्टिस आनंद सेन की बेंच ने स्पष्ट किया कि जब तक आयोग और सरकार इस मामले पर अपना पक्ष नहीं रखती, तब तक रिक्त पदों को किसी और श्रेणी या प्रक्रिया में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। यह आदेश याचिकाकर्ताओं को अस्थायी राहत देता है। अदालत ने कहा कि आयोग और सरकार दोनों को अगली सुनवाई से पहले विस्तृत जवाब दाखिल करना होगा।









