झारखंड- सात साल के बच्चे को चढ़ाया HIV पॉजेटिव ब्लड, सदर अस्पताल में खून चढ़ाने के दौरान गंभीर लापरवाही का आरोप, परिजनों ने कहा…
Jharkhand: A seven-year-old boy was given HIV-positive blood. The Sadar Hospital hospital alleges gross negligence during the transfusion, and the family alleges...

Jharkhand News : झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल एक बार फिर खुल गयी है। सदर अस्पताल में सात वर्षीय बच्चे को कथित रूप से HIV संक्रमित खून चढ़ा दिया गया, जिससे उसकी जान खतरे में पड़ गई। मामले में परिजनों ने ब्लड बैंक कर्मी पर गंभीर आरोप लगाए हैं। पश्चिमी सिंहभूम जिले के सदर अस्पताल चाईबासा में स्वास्थ्य प्रणाली की लापरवाही का एक बेहद गंभीर मामला सामने आया है।
आरोप है किमंझारी निवासी सात वर्षीय थैलेसीमिया पीड़ित बच्चे को कथित रूप से HIV पॉजिटिव रक्त चढ़ा दिया गया, जिससे बच्चे की हालत को लेकर परिवार में हड़कंप मच गया है। बच्चे के पिता ने उपायुक्त को शिकायत देते हुए आरोप लगाया है कि अस्पताल के ब्लड बैंक कर्मी मनोज कुमार ने जानबूझकर और बदले की भावना से यह घोर गलती की है।
पिता का कहना है कि उनका बेटा लंबे समय से थैलेसीमिया से पीड़ित है और हर कुछ महीनों में उसे रक्त चढ़ाना आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि नवंबर 2023 में ब्लड बैंक कर्मी मनोज कुमार के साथ उनके बीच दुर्व्यवहार का मामला दर्ज हुआ था, जिसकी प्राथमिकी थाने में दर्ज है और मामला वर्तमान में न्यायालय में विचाराधीन है।
पिता का आरोप है कि इसी रंजिश के कारण मनोज कुमार ने बच्चे को संक्रमित रक्त चढ़ाया।परिजनों ने बताया कि 18 अक्टूबर को जब बच्चे का ब्लड टेस्ट कराया गया, तो रिपोर्ट में HIV पॉजिटिव पाया गया। इससे पहले, बच्चे के माता-पिता ने भी एहतियातन अपना एचआईवी टेस्ट कराया था, जिसमें दोनों की रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इससे यह शंका और गहरी हो गई कि संक्रमण बच्चे को अस्पताल से मिला है।
इस घटना ने परिवार के साथ-साथ पूरे इलाके में आक्रोश और भय का माहौल पैदा कर दिया है। ग्रामीणों और स्थानीय प्रतिनिधियों ने अस्पताल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए दोषी कर्मचारियों पर कठोर कार्रवाई की मांग की है।मंझारी के जिला परिषद सदस्य माधव चंद्र ने कहा, “यह एक अत्यंत गंभीर मामला है।
यदि जांच में यह साबित होता है कि अस्पताल की लापरवाही से बच्चे को संक्रमित रक्त चढ़ाया गया है, तो यह न केवल चिकित्सा नैतिकता का उल्लंघन है बल्कि आपराधिक लापरवाही का भी मामला है। दोषियों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए और बच्चे के इलाज की जिम्मेदारी प्रशासन को लेनी चाहिए।”वहीं, ब्लड बैंक कर्मचारी मनोज कुमार ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “ब्लड बैंक में हर यूनिट की जांच की जाती है और सभी रिकॉर्ड सुरक्षित रखे जाते हैं। आरोप निराधार हैं।”









