झारखंड जमीन घोटाला: एसीबी ने तत्कालीन सदर सीओ शैलेश कुमार को गिरफ्तार, न्यायिक हिरासत में भेजा, जानिये क्या है पूरा मामला
Jharkhand land scam: ACB arrests then Sadar CO Shailesh Kumar, sends him to judicial custody; find out the full story

हजारीबाग । सरकारी जमीन की अवैध खरीद-बिक्री से जुड़े बहुचर्चित जमीन घोटाला मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने बड़ी कार्रवाई की। एसीबी ने तत्कालीन सदर सीओ शैलेश कुमार को रांची से गिरफ्तार किया और उन्हें हजारीबाग कोर्ट में पेश किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनवाई के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दिया।
शैलेश कुमार ने कोर्ट में स्वास्थ्य संबंधी कारणों का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि उनके बीपी की शिकायत है और उनका इलाज चल रहा है। इसके बावजूद न्यायालय ने उन्हें जेल में इलाज कराने की सलाह देते हुए हिरासत में भेज दिया।यह मामला तत्कालीन उपायुक्त विनय कुमार चौबे से जुड़ा हुआ है।
उनके कार्यकाल के दौरान ही सरकारी जमीनों की अवैध खरीद-बिक्री का खेल चला था। इस प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण वाद संख्या 11/2025 के तहत कुल 73 लोगों को अभियुक्त बनाया गया है, जिनमें 68 नामजद हैं। यह मामला 25 सितंबर 2025 को दर्ज किया गया था।
एफआईआर के अनुसार, सरकारी भूमि जैसे भूदान, वन भूमि, गोचर भूमि और गैर मजरूवा आम एवं खास जमीन को कुछ भू-माफियाओं द्वारा फर्जी दस्तावेज बनाकर अवैध तरीके से खरीद-बिक्री कर जमाबंदी कराई गई। आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराएं 420, 467, 468, 471, 120(बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) और 13(2) लगाई गई हैं।
इस मामले में प्रमुख अभियुक्तों में तत्कालीन अंचल अधिकारी शैलेश कुमार, तत्कालीन अंचल अधिकारी अलका कुमारी, अंचल निरीक्षक राजेंद्र प्रसाद सिंह, राजस्व कर्मचारी राम प्रकाश चौधरी और संतोष कुमार वर्मा शामिल हैं।
जानकारी के अनुसार, 11 सितंबर 2024 को भी एसीबी ने शैलेश कुमार के आवास और कार्यालय पर छापेमारी की थी, जिसमें उनके भाई की गिरिडीह स्थित दुकान से 18 लाख रुपये नकद बरामद हुए थे। उस समय वे हजारीबाग में एसडीओ के पद पर तैनात थे। शैलेश कुमार को पहले भी ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के एक अन्य प्रकरण में सरकारी गवाह बनाया गया था।
इससे पहले इस घोटाले में विनय सिंह और विजय प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं, अलका कुमारी को 7 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उन्होंने सरकारी गवाह बनने की सहमति दी और न्यायालय में बीएनएस की धारा के तहत बयान दर्ज कराने के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया।