झारखंड: पूर्व विधायक अंबा प्रसाद को क्लीन चिट देकर फंस गये दारोगा जी, लाखों के घोटाले में दारोगा, SDPO सहित इन लोगों को भी बनाया गया अभियुक्त
Jharkhand: The inspector, who gave a clean chit to former MLA Amba Prasad, is now trapped. The inspector, the SDPO, and others have been named as accused in a scam worth lakhs.

रांची। 50 लाख के घोटाले में क्लीन चिट देने वाले पुलिस अफसरों की मुश्किलें बढ़ने वाली है। इस मामले में पुलिस अफसर को भी अभियुक्त बनाया गया है। पूरा मामला बड़कागांव के कर्णपुरा कॉलेज में 50 लाख रुपये के कथित गबन से जुड़ा है। पूर्व विधायक अंबा प्रसाद सहित अन्य आरोपितों को क्लीन चिट देने वाले तत्कालीन अनुसंधानकर्ता दारोगा अमित कुमार और पर्यवेक्षण पदाधिकारी, तत्कालीन एसडीपीओ कुलदीप कुमार के खिलाफ भी अब मुकदमा चलेगा।
कोर्ट ने दोनों पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए उनके विरुद्ध भी कार्रवाई का मार्ग खोल दिया है।कांड के शिकायतकर्ता द्वारा क्लीन चिट को चुनौती देते हुए दायर की गई प्रोटेस्ट पिटिशन पर सुनवाई के बाद हजारीबाग सीजेएम कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया है। अदालत ने अधिवक्ता अनिरुद्ध कुमार एवं पवन कुमार यादव की बहस सुनने के उपरांत निर्णय सुनाया। इसके साथ ही अब दोनों पूर्व पुलिस अधिकारी भी कोर्ट की कार्यवाही के दायरे में आ गए हैं।
जानिये कैसे शुरू हुआ मामला?
दरअसल शिकायतकर्ता राम सेवक, जो कर्णपुरा कॉलेज के संस्थापक, दानदाता एवं पूर्व प्राचार्य हैं, ने वर्ष 2021 में हजारीबाग सीजेएम कोर्ट में शिकायतवाद संख्या 835/21 दाखिल की थी। न्यायालय के आदेश पर बड़कागांव थाने में कांड संख्या 113/21 दर्ज हुई। केस की जांच तत्कालीन दारोगा अमित कुमार को सौंपी गई थी।
जांच के दौरान तत्कालीन एसडीपीओ कुलदीप कुमार ने अनुसंधानकर्ता को 28 बिंदुओं पर जांच का निर्देश दिया था। आरोप है कि अनुसंधानकर्ता ने न तो इन निर्देशों के अनुसार विस्तृत जांच की और न ही गवाहों के बयान दर्ज किए। विनोबा भावे विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कॉलेज के प्राचार्य से भेजे गए पत्रों का जवाब नहीं मिलने के बाद भी जांच को आगे बढ़ाने के बजाय पुलिस ने साक्ष्यों के अभाव का हवाला देते हुए केस को सत्य सूत्रहीन (एफआरटी-नो क्लू) बताते हुए अंतिम रिपोर्ट दाखिल कर दी।
क्या हैं पूरा आरोप?
22 फरवरी 2021 को कर्णपुरा कॉलेज से संबंधित शासी निकाय (गवर्निंग बॉडी) की बैठक आयोजित की गई थी, जिसकी अध्यक्षता तत्कालीन बड़कागांव विधायक अंबा प्रसाद ने की थी। शिकायतकर्ता राम सेवक का आरोप है कि उस तिथि में कॉलेज का कोई विधिसम्मत शासी निकाय अस्तित्व में ही नहीं था, इसलिए बैठक एवं उसमें लिए गए सभी निर्णय अवैध थे।उनका आरोप है कि पूर्व विधायक ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए अन्य आरोपितों के साथ मिलकर 50 लाख रुपये के वित्तीय गबन को अंजाम देने के लिए आपराधिक साजिश रची।
इन पर है आरोप
इस मामले में कई प्रतिष्ठित नाम शामिल हैं, जिनमें–
• पूर्व विधायक अंबा प्रसाद
• विनोबा भावे विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति डॉ. मुकुल नारायण देव
• तत्कालीन रजिस्ट्रार डॉ. वंशीधर प्रसाद रुखैयार
• रसायन विभाग के प्रोफेसर डॉ. इंद्रजीत कुमार
• कीर्तिनाथ महतो, टुकेश्वर प्रसाद, सुरेश महतो, ज्योति जलधर
• प्रोफेसर डॉ. कौशलेंद्र कुमार
• तत्कालीन जिला आपूर्ति पदाधिकारी अरविंद कुमार
• भोगेश्वर महतो
• तत्कालीन एसडीपीओ कुलदीप कुमार
• तत्कालीन दारोगा अमित कुमार
• तथा अन्य अज्ञात व्यक्ति
कोर्ट द्वारा प्रोटेस्ट पिटिशन स्वीकार किए जाने के बाद अब यह मामला एक नई दिशा में आगे बढ़ेगा। पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई के आदेश के बाद यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या जांच में जानबूझकर लापरवाही बरती गई थी।









