झारखंड: “बकाया बिल के लिए शव रोकने वाले अस्पतालों की अब खैर नहीं” स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया निर्देश, सभी डीसी और सिविल सर्जनों को कहा…
Jharkhand: "Hospitals holding back bodies for pending bills will be in trouble now" Health department issued directive, told all DCs and civil surgeons...

रांची। झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों से ऐसी चिंताजनक घटनाएं सामने आ रही थीं, जहां अस्पतालों द्वारा लंबित बिलों के कारण मृतकों के शव परिजनों को सौंपने से इनकार किया गया। इस अमानवीय रवैये पर अब झारखंड सरकार सख्त हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने “क्लीनिकल एस्टैब्लिशमेंट एक्ट” के तहत स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि किसी भी परिस्थिति में शव रोका नहीं जा सकता। झारखंड सरकार ने इस निर्देश के अनुपालन को लेकर सभी उपायुक्तों और सिविल सर्जनों को आदेश जारी कर दिया है।
झारखंड सरकार के संयुक्त सचिव विद्यानन्द शर्मा पंकज द्वारा सभी उपायुक्तों और सिविल सर्जनों को एक महत्वपूर्ण निर्देश भेजा गया है, जिसमें अस्पतालों द्वारा बकाया बिलों के आधार पर शव न सौंपने की घटनाओं पर रोक लगाने को कहा गया है।
यह आदेश भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के पत्र के संदर्भ में जारी किया गया है, जिसमें स्पष्ट रूप से बताया गया है कि ऐसी घटनाएं न केवल मृतक के परिजनों को असहनीय मानसिक पीड़ा देती हैं, बल्कि यह नैतिक और मानवीय मूल्यों का भी उल्लंघन है।
मंत्रालय ने “The Clinical Establishments (Registration and Regulation) Act, 2010” के तहत “Patients’ Rights and Responsibilities Charter” जारी किया है, जिसमें यह स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि “Release of dead body of a patient cannot be denied for any reason by the hospitals.”
सरकार ने यह निर्देश दिया है कि सभी अस्पतालों और चिकित्सा संस्थानों को यह चार्टर प्रदर्शित करना अनिवार्य होगा और इसके हर बिंदु का पालन सुनिश्चित करना होगा। विशेष रूप से मृतकों के शव को बिना किसी देरी और बिना शर्त सम्मानपूर्वक परिजनों को सौंपा जाए।
संयुक्त सचिव ने अपने पत्र में यह भी स्पष्ट किया है कि उक्त दिशा-निर्देशों का पालन न करने पर संबंधित अस्पताल/स्वास्थ्य केंद्र के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जा सकती है। उन्होंने सभी जिला प्रशासन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि यह निर्देश हर अस्पताल और स्वास्थ्य संस्थान तक पहुंचे और उस पर अमल हो।