पति-पत्नी का अमर प्रेम : बीबी की हुई मौत, तो चार घंटे भी जिंदा नहीं रह सका पति, एक ही चिता पर दोनों का हुआ अंतिम संस्कार, पति ने कहा, अब जिंदा क्यों रहना, फिर पति ने भी…
Eternal love of husband and wife: When the wife died, the husband could not survive even for four hours, both were cremated on the same pyre, the husband said, why should I live now, then the husband also...

Wife-Husband Amar prem kahani : पत्नी के निधन के बाद चार घंटे की जुदाई भी पति बर्दाश्त नहीं कर पाया और फिर उसकी भी मौत हो गयी। अब इस घटना में पति-पत्नी के अमर प्रेम कहानी की मिसाल दी जा रही है। पूरा मामला राजस्थान के बाड़मेर जिले की है। जहां की भावुक घटना ने लोगों के दिलों को गहराई से छू लिया।

दरअसल यहां 88 वर्षीय पत्नी के निधन के मात्र चार घंटे बाद 90 वर्षीय पति ने भी जीवन की डोर छोड़ दी। पति-पत्नी का एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया, और जब उनकी संयुक्त अंतिम यात्रा निकली तो पूरा गांव नम आंखों के साथ इस अनोखी प्रेम कहानी का साक्षी बना।
घटना महाबार गांव की है। जानकारी के अनुसार, गांव के बुजुर्ग दंपति हीरा देवी (88) का शाम 6 बजे निधन हो गया। परिवार और रिश्तेदारों ने अंतिम संस्कार की तैयारी शुरू की थी, लेकिन इसी बीच रात करीब 10 बजे उनके पति जुगताराम (90) ने भी दम तोड़ दिया। पत्नी की मौत का सदमा पति सहन नहीं कर सके और कुछ ही घंटों में अपनी जीवन यात्रा पूरी कर ली।
1960 में हुई थी शादी, साथ गुजारे सुख-दुख के 65 वर्ष
परिजनों के अनुसार, जुगताराम और हीरा देवी की शादी वर्ष 1960 में हुई थी। दोनों ने पूरी जिंदगी एक-दूसरे का साथ निभाया। बुजुर्ग दंपति समाज में बेहद सम्मानित थे। जुगताराम खेती-किसानी करते थे और गांव में समाज के पंच के रूप में उनकी पहचान थी। वे हमेशा निष्पक्ष निर्णय के लिए जाने जाते थे। दूसरी ओर, हीरा देवी सरल स्वभाव और धार्मिक प्रवृत्ति के लिए जानी जाती थीं। दोनों अपना अधिकांश समय प्रभु भक्ति में बिताते थे।
10 दिन पहले उन्हें हल्की खांसी-जुकाम की शिकायत हुई थी, लेकिन कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। परिवार का मानना है कि पति-पत्नी के बीच गहरा प्रेम और अटूट भावनात्मक जुड़ाव ही उनके लगभग साथ-साथ मृत्यु का कारण बना।
परिवार में पसरा मातम, गांव में शोक
दंपति के तीन बेटे हैं—60 वर्षीय राणाराम, जो लकड़ी का काम करते हैं; 55 वर्षीय उदाराम, जो बस ड्राइवर हैं; और 50 वर्षीय कमाराम, जो बीएसएफ में कार्यरत हैं। दंपति की एक बेटी भी है। अचानक हुई दो मौतों ने पूरे परिवार को झकझोर दिया है।गांव के लोग इस घटना को प्रेम और समर्पण की पराकाष्ठा बता रहे हैं। ग्रामीणों ने कहा कि आज के समय में जब रिश्ते औपचारिकताओं तक सीमित होते जा रहे हैं, ऐसे में यह घटना सच्चे प्रेम और सात जन्मों के बंधन का जीता-जागता उदाहरण है।
संयुक्त अंतिम यात्रा, गांव ने दी भावुक विदाई
शनिवार सुबह गांव में दंपति की संयुक्त अंतिम यात्रा निकाली गई। उनकी एक साथ उठी अर्थियां देख हर किसी की आंख भर आई। अंतिम संस्कार में गांव के सैकड़ों लोग शामिल हुए। लोग आपस में यही चर्चा करते रहे कि यह प्रेम की ऐसी मिसाल है, जिसे पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा।दंपति के भतीजे राणाराम ने कहा, “यह कोई साधारण घटना नहीं, यह प्रेम की पराकाष्ठा है। बड़े पिताजी बड़ी मां के बिना रह ही नहीं सकते थे। यह वियोग नहीं, बल्कि मिलन की अमर कहानी है।” ग्रामीणों का मानना है कि दोनों ने जीवन भर साथ दिया और मृत्यु के बाद भी सात जन्मों के वचन को निभाया।









